Menu
blogid : 4435 postid : 68

कुछ तो सीखो फालतू में

sach mano to
sach mano to
  • 119 Posts
  • 1950 Comments

यह देश है भ्रष्टाचारियों का। रिश्वतखोरों का। इस देश का यारों क्या कहना। यहां जन भ्रष्टाचारी, गण भ्रष्टाचारी, मन भ्रष्टाचारी। फिर फालतू में भ्रष्टाचार पर बोलने की पाले हो बीमारी। जिस भारत के भाग्य विधाता भ्रष्टाचारी हों वहां काहे का भ्रष्टाचार हटाओ-देश बचाओ फालतू में। इस देश को आखिर हुआ क्या है। कहां है भ्रष्टाचार जो हटाओगे। अरे अब तो गर्व करो। भ्रष्टाचार में भी हम नंबर एक रैकिंग पर हैं। जश्न मनाओ। देश में भ्रष्टाचार उत्सव मनाओ कि मन में है विश्वास पूरा है विश्वास कि भ्रष्टाचारी होंगे कामयाब एक दिन। तब शुभ नामे जागेंगे भ्रष्टाचारी तब शुभ आशीष मांगेंगे भ्रष्टाचारी और तब जन-गण-मन जय होगा और सारे जहां से अच्छा अपना हिन्दुस्तां होगा। गोदी में खेलेंगे जिसके हजारों भ्रष्टाचारी, गुलशन होगा जिसके दम से रश्के जिना हमारा। और तब गायेंगे हम सारे जहां से अच्छा हिन्दुस्तां हमारा। अरे वाह, तूने तो भ्रष्टाचारियों की फेहरिस्त भी निकाल ली। अब उनकी जयंती, पुण्यतिथि मनाओ। भ्रष्टाचार देश में फालतू नहीं है। यह देश के हर वासियों का राइट है कि वे भ्रष्टाचारी बनें। भ्रष्टाचार को संरक्षित करें। उन्हें मदद पहुंचाये और भ्रष्टाचार के खिलाफ चौक-चौराहों से लेकर संसद तक मौन रहें। अब इसी बोलने के चक्कर में फंस ही गये अन्ना। भ्रष्टाचार हटाओ। अरे काहे का हटाओ भ्रष्टाचार। क्या बिगाड़ा है तुम्हारा भ्रष्टाचार ने। अरे हजारी जी। भ्रष्टाचारी कोई अतिक्रमणकारी तो हैं नहीं, ना ही कूड़ा-कचरा कि यहां से हटाओ। ये भ्रष्टाचार पूरे देश का भ्रष्टाचार है। उस महान देश का भ्रष्टाचार जिसने सदियों तक गुलामी की बेड़ी देखी है। अब आजादी का जश्न मनाने दो। फालतू में जो शांत भी रहना चाहता है उसे भी बोलने को उकसाओ मत। बेचारे,आडवाणी जी। बोलना नहीं चाह रहे थे लेकिन फालतू में उन्हें भी बोलवा ही लिया। सोनिया जी भ्रष्टाचारियों को देखना नहीं चाहती। अपना वो अमूल बेबी भ्रष्टाचार पर क्या कुछ नहीं कहा फालतू में। बार-बार कहता हूं फालतू बोलने की आदत मत डालो। अरे चुप रहकर भी देश का भला हो सकता है। ये अपने प्रधानमंत्री से क्यों नहीं सीखते। कितना बढिय़ा पूरा देश विश्व कप के जश्न में डूबा था कि कहां से फालतू में पहुंच गये अन्ना। जंतर से मंतर मारने। पूरे देश को नींबू पानी पिलवाने। फालतू, क्या जरूरत थी इसकी। घर-घर में अन्ना पैदा करने लगे फालतू। अरे देश की सेवा ही करना चाहते हो, कुछ देना ही चाहते हो। समाज के लिये कुछ करना ही चाहते हो तो चुपके-चुपके करो ना बोलने की क्या जरूरत है फालतू में। ठीक है, अपने देश के प्रधानमंत्री से नहीं कुछ सीख सकते। समझ गये वामपंथी, भाजपाई हो फालतू में तो चेक रिपब्लिकन के राष्ट्रपति से सीखो। लेकिन कहीं तो सीखो फालतू में। सीखो कैसे चेक के राष्ट्रपति वाक्लॉव क्लास का दिल परेशान हो उठा। अब लोगों को तो बोलने की बीमारी है फालतू में सो उनको कलम चोर बना दिया। लेकिन ये कलम उन्होंने खुद के लिये चुरायी होती तब ना। उनका दिल कितना उदार, महान है ये ना सीखो फालतू में। अरे उन्होंने कर्ज में डूबे मेक्सिकाना एयरलाइंस के कर्मियों के लिये कलम चुरायी जिन्हें कंपनी ने 2010 में एयरलाइंस की उड़ान रद्द होने के बाद बेकार कर दिया। कुछ बेकार महिलाकर्मियों ने तो मेक्सिकाना फ्लाइट एटंडेट्सन प्ले बॉय मैगजीन के अप्रैल 2011 मैक्सिन एड्रीशन के लिये कपड़े उतार दिये और मैगजीन के कवर पेज पर न्यूड पोज देकर लाखों डालर कमा लिये। लेकिन बाकी कर्मियों का। बेचारे राष्ट्रपति को यह सब देखा नहीं गया। वे मौका मिलते ही बेशकीमती लेपीज लेजुली नामक नीले रंग के पत्थर से बनी कलम चुरा ली ताकि उसे बेचकर उन मुफलिसी में जी रहे कर्मियों को दो वक्त का राहत दे सके। आखिर, राष्ट्रपति उन कर्मियों को नोएडा में रह रही उन सगी बहनों की तरह डिप्रेशन में कैसे देख सकते थे। उन्हें पता था कि जल्द कुछ नहीं किया तो फिर पुलिस डायरी के पन्नों में राज ही टटोलते फिरेगी। सो जल्दबाजी में वही कलम हाथ लग गया। तो भाई नेता हो तो ऐसा। कुछ सीखे फालतू में। अरे अब भी वक्त है कुछ सीख लो इस राष्ट्रपति से। नहीं तो यूं ही बात-बात पर बकवास करते रहोगे फालतू में।

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh