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क्या चखेंगे आप। अन्ना की थाली, लोकपाल वेजिटेवल, सिविल सोसायटी प्लाव, जनलोकपाल दाल, अन्ना की रोटी या फिर अन्ना की आइस्क्रीम। 160 से लेकर 75 रुपये तक में स्वाद लेकर खाइये अन्ना को। वैसे भी, अन्ना का बाजारीकरण हो ही चुका है। बस, कारपोरेट जगत की चुप्पी टूटने की देर है। कारोबारी अब तक अन्ना से अछूते हैं, आगे नहीं आए हैं। नहीं तो, नेता से लेकर अभिनेता तक, सूर्पनखा राखी सावंत भी अन्ना को कलियुगी राम
कह ही दिया है। बस, अन्ना को फिलहाल अपने ही रावण यानी अरविंद केजरीवाल से लडऩा है। उसके बाद पूरे देश में विजयाअन्नी मनाया जाएगा। वैसे, कारपोरेट जगत के उतरने से एक नया लुक सोसायटी में दिखने को मिलेगा। अन्ना आटा, अन्ना बेसन, अन्ना घी भी बाजार में जल्द उतरेंगे। अन्ना किराना भंडार, अन्ना टी स्टाल, अन्ना पान दुकान लांच ही होने वाले हैं। घबराइये मत, अन्ना ट्रांसपोर्ट एजेंसी, अन्ना दवाई घर लोगों की सेवा को आतुर जल्द खुल रहा है आपके प्रिय शहर में। फिलहाल, होटलों में आप भी आइये, लोग खूब चाव व स्वाद लेकर चाट रहे हैं अन्ना को, आप भी चाटिये और आकर रामलीला मैदान में चादर बिछा कर सो जाइये। सबसे ज्यादा पसंद अन्ना की थाली हो रही है। लोग खूब मजे ले रहे हैं। सिनेमा घरों की जगह होटलों में पहुंच, जुट रहे हैं और लौटकर रामलीला मैदान में रातभर आनंद, नशे में धुत खर्राटे भर रहे हैं। लोग करें भी तो क्या, सिनेमा घरों में तो 16 अगस्त के बाद से वैसे भी समझिए झकमारी ही हो गयी है। यही हाल रहा, अन्ना का अनशन लंबा चला तो फिल्म इंडस्ट्रीज पर ताले न लग जाए। निर्माता-निदेशक को भुखमरी न हो जाए। वैसे भी 18 माह बाद सेंसेक्स 16 हजार नीचे गिरा है। बालीवुड फिल्में फ्लॉप हो रहीं हैं। चतुर सिंह की चतुराई अन्ना के आगे फीकी पड़ गयी है। लिहाजा, शबाना आजमी अन्ना से अनशन तोडऩे की अपील कर रहीं हैं। आमिर खान जल्द रामलीला मैदान पहुंचने वाले हैं। सलाह-मशविरा का दौर चल रहा है। सिविल सोसायटी के सदस्य भाजपा से मिल रहे हैं। मायावती अन्ना को 2014 चुनाव में उतरने का न्यौता दे रही हैं। आखिर, अन्ना के पांव जमीन पर जो नहीं हैं। तीन नावों की सवारी एक साथ कर रही है टीम अन्ना। एक बाम तीन काम। जनआंदोलन, समर्थन में कोई कसर है नहीं, मिल ही रहा है, लोग अन्ना के नाम पर पगला ही रहे हैं। कांग्रेस का काम अन्ना आसान कर ही चुके हैं। भाजपा का काम तमाम हो ही गया है। राम के बाद अन्ना का सहारा भाजपा व विहिप के साथ है। कांग्रेस जो कभी महंगाई व कालाधन मामले से तर-बतर लोगों की नाराजगी, कोपभाजन की शिकार थी, अन्ना ने उसे मोड़, शांत कर दिया। सोनिया को अब कतई परेशानी नहीं है। कुछ दिन वह और स्वास्थ्य लाभ कर सकती हैं। भाजपा के अपने जब अन्ना के समर्थन में गरजे, तब शीर्ष नेतृत्व की नींद टूटी। नहीं तो भाजपा के आडवाणी भी मनमोहन की तरह अन्ना की सेहत को लेकर ही चिंतित ज्यादा थे। वो तो, शत्रुघ्न, यशवंत, सीपी थोड़ा उठे कि गडकरी को बाहर निकलना पड़ा। भाजपा तो यही मानकर बैठी थी कि अन्ना ने उसका काम अगले चुनाव में आसान कर दिया है। वैसे, रामलीला मैदान में बानरों के बीच बैठे कलियुगी राम रावणों की फौज से भी परेशान कम नहीं हैं। एक बानर क्या उठा पुलिसकर्मियों पर रोड़े बरसा आया, दूसरा उठा संसद में घुस गया। स्वामी अग्निवेश का मुखौटा बदल गया। दोनों आंख वाले इस स्वामी को किरण व केजरीवाल फूटे आंखों नहीं सुहा रहे। उन्हें लगता है कि अन्ना यूज हो रहे हैं। एक आंख वाले बाबा पहले ही योग की दुनिया में लौट गए, उन्हें लगा ये भ्रष्टाचार, दुराचार, अनाचार से बढिय़ा अपना योगाचार ही है। इधर, संतोष हेगड़े अन्ना कोर ग्रुप से थ्रो कर दिए गए। उन्हें अब अमूल बेबी की बातें अच्छी लगने लगी है। चुनाव आयोग की तरह लोकपाल भी हो यह बात आम लोगों को भी हजम हो गयी। सो, किरकिरी का दौर चल पड़ा। रामलीला मैदान से लेकर संसद तक सबकी किरकिरी हो रही है। अभिनेताओं की जुबान फिसल रही है। नेता रातों रात नालायक तो हो ही गए हैं चेहरे भी साफ नहीं रखते। मुखौटे लगाकर कब तक रामलीला का चक्कर काटते रहेंगे ये भाजपाई। कोर्ट की जो दखलअंदाजी है उसमें चिदंबरम व कपिल सिब्बल को नहीं फंसता देख भाजपा ने साफ कहा, मनमोहन से गुपचुप, आडवाणी से फुसफुस दोनों एक साथ, नहीं चलेगा। वैसे अन्ना देश के एकमात्र मर्द हैं जिन्हें राखी सावंत से ए सार्टिफिकेट मिला है। अब वो, खा-पीकर सिनेमा में भी उतरेंगे। अमिताभ व अनुपम अन्ना बनने की सोच ही रहे थे कि राखी ने सबको निराश कर दिया। एक शबरी पूरे अंडरवल्र्ड को, पुलिस को हिला सकती है, तो भला एक ऑरिजनल अन्ना सही धंधे गलत बंदे को सिनेमाई पर्दे पर क्यों नहीं उतार सकते। आखिर रामलीला मैदान से भी तो अन्ना वही कह रहे हैं। संसदीय प्रणाली को बदलने की बात दोहरा रहे हैं। खुद को छोड़, सांसदों को भ्रष्टाचारी डी कंपनी बता रहे हैं। अरे, सलमान तो महज एक कैटरीना के लिए बाडीगार्ड बने। अन्ना मायावती की बात मान पूरे देश का शिवाजी द बॉस बनेंगे। सिंघम की तरह तंत्र, सिस्टम को सुधारेंगे। जैसे, गुजरात में लोकायुक्त की नियुक्ति हुई है, पाकिस्तानी संसद के उच्च सदन सीनेट में गैर मुसलिमों लिए सीटें आरक्षित की गयी हैं, भारत में भी हर आदमी दिल पर हाथ रखकर कहने लगेगा ऑल इज वेल…बस, इंतजार कीजिए, अनशन तो टूटने दीजिए।
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