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ये डर्टी गेम

sach mano to
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महिलाएं शुरू से ही बला रही हैं। कभी पुरुषों को अपनी खूबसूरती पर नचाया कभी ऐसी अदा, जलवे बिखेंरी कि हो गए मर्द खुद फिदा। लूट गए, दीवानगी की हदें तोड़, बहक गए। वैसे, प्यार, सेक्स व धोखा की कहानी भी पुरानी ही है। दिल देने के बाद जान देने वाले भी समाज में कम नहीं हैं। वैसे सेक्स, फिल्मों से लेकर चाय दुकानों तक खूब बिक, खरीदी जा रही हैं। चाय बनाने वाली अगर औरत हो तो फिर उस चाय की टेस्ट पूछिए मत, चीनी कम होने पर भी पूरी मिठास की गारंटी। अब देखिए ना, लोग अपने दोस्तों, यारों की ब्लू पिक्चर अपने पास रख रहे हैं। स्ट्रीपिंग भी करते हैं और मनपंसद पार्टनर मिला तो फिर बिंदास बोलने से भी नहीं कतराते। यही वजह है कि देश में नाबालिग वेश्याओं की संख्या बढ़ रही हैं। वैसे यह बात अब सभ्य समाज के लिए शर्म की श्रेणी में नहीं आती। 28 लाख वेश्याओं में से 36 फीसदी वैसी हैं जिन्हें सेक्स के लिए भरपूर नहीं माना जाता, लेकिन ये वेश्याएं हैं और उनका स्वादन रईस, धनाढ़्य परिवार के बिगड़ैल खूब चाव से कर रहे हैं। सवाल है, जब शाहरूख जैसे शख्स बिपाशा व डिनो मारिया का सेक्स क्लिप फुर्सत के क्षणों में देखते व बांटते हैं तो आम आदमी तो आज शोहरत, पैसा, शराब के साथ सेक्स ही परोस व खा रहा है। महिलाएं जो सबसे बड़ी बम साबित हो रही हैं, सिर्फ झेंप, मुस्कुरा भर रही हैं, गोया आग खुद गरमी चाहती हो। जैसे वह सबकुछ मनमर्जी से करने को बेताब हों। शराब खुद पीने-पिलाने को बहक रही हों, तो भला, पुरुष कहां पीछे रहने वाले, मैन फोर्स लेकर पहले से मुस्तैद दिखते हैं। अवैध संबंध हर रोज बनते-बिगड़ रहे हैं। कहीं पकड़े गए तो विरोध, नहीं तो स्वीकार्य। पहले शादी-ब्याह अभिभावकों की मर्जी पर ही होती थी। समय बदला, लड़की देखने का रिवाज चला। फिर समय बदला, लड़के भी देखे जाने लगे। फिर समय बदला, जन्म कुंडली मिलान के बाद शादी होने लगी। अब फिर समय बदल गया है। अब लड़की वाले मर्दाना ताकत भी देखने लगे हैं। कहीं बाद में तलाक लेने की नौबत न आ जाए। पत्नी को संतुष्ट कर पाओगे पहले सोच लो, नहंी तो बाद में जग हंसाई भी होगी और पत्नी का वियोग, तलाक भी मिलेगा। अब पत्नी पहले की आदर्श नारी नहीं रहीं कि पति की नामर्दगी पर कुछ न बोले। बांझ होने का कलंक झेले। अब पता लगाना मुश्किल, बेटा किसका है। घर से निकली नारी, शाम तक दफ्तर में रहे, होटलों में बॉस के साथ घूमे, रात-रात भर प्रोजेक्ट बनाएं, तो फिर उससे उम्मीद किस बात की। टाइम नहीं है पति के लिए। आज की नारी, अपना भी तन उभार रही हैं और पति को भी मालिश की सलाह दे रही है। सब कुछ देखभाल कर अपने जीवन साथी का चुनाव, इस्तेमाल कर रही हैं। पति को प्रोडक्ट बनाने से भी इन्हें गुरेज नहीं। साफ कहती हैं, पत्नी को यौन सुख नहीं दे पाए तो हर्जाना दो। पहले रिंग फिंगर दिखाओ तब इनगेजमेंट रिंग डलवाओ। आज की बालाएं, जीवन साथी के बाएं हाथ की अनामिका अंगुली की लंबाई नाप रही हैं। उन्हें देख, परख रही हैं, ताकि यौन सुख में कोई बाधा, खलल बाद में न पड़े। पुरुषों की अनामिका अंगुली की लंबाई जितनी ज्यादा होगी उनमें टेस्टोरेन यानी सेक्स हारमोन का स्तर उतना ही ज्यादा होगा। यही सोच, समझकर नायक की तलाश और बाद में शादी कर रही हैं आज की नायिकाएं। पावर कैप्सूल के साथ मालिश की तरह-तरह दवा बाजारों में है, जो पुरुषों के लिए बेचारगी से कम नहीं, औरत ललचा रही हैं और मर्द भूख शांत करने के लिए नुस्खे आजमा रहे हैं। लंदन में 21 साल के वैवाहिक जीवन में पत्नी को पर्याप्त यौन सुख नहीं देने पर वहां की अदालत ने जीन लुईस को कई हजार पाउंड का हर्जाना देने का आदेश दिया। जाहिर है,आज की युवतियां कैरियर के साथ-साथ सेक्स को भी सुरक्षित, भरपूर मजा लेने को आतुर हैं। फेसबुक पर जो तस्वीरें आपके पास आती, दिखती होंगी, क्या मुझे दोस्त बनाओगे, उस तस्वीर की नग्नता व चरित्र आपको उकसा कर ही छोड़ेंगे। यही वजह है कि घर के अंदर जवान होती लड़कियां भी सुरक्षित नहीं दिख रहीं। अपने ही उसे कामुकता का पाठ पढ़ा-सीखा रहे हैं। कहीं नौकरानी हवस का शिकार हो रही हैं, कहीं अवैध संबंध का विरोध करते वृद्ध मारे जा रहे हैं। हाल ही में बेनीपट्टी में एक अधेड़ की हत्या महिलाओं ने इस वजह से पीट-पीटकर कर दी, कि उसने एक जवान लड़की को गांव के ही कुछ छोरों के साथ आपतिजनक स्थिति में देख लिया। ये महज, समाज का एक चेहरा है, दूसरा स्याह सच और भी भयानक है जहां खुद एक औरत अपने जिस्म की गरमी से पुरुषों को ललचा, रिझाती दिखती है। भला कैसे हो सकता है, 25 मिनट की डीवीडी में लोग अपनी जिंदगी की फिलास्पी लिख दे। हां मुमकिन है कि उस 25 मिनट की डीवीडी आपके अंदर, नसों की छटपटा, सिहरन, झुनझुनी एक ऐसी सनसनी भर दे जिससे आपकातन-मन दो मिनट बाद शांत हो जाए। शिल्पा के बाद बिपाशा ने जो डीवीडी लांच की है, शायद उसका फलसफा यही है। सेक्स जगाओ, नारी सौंदर्य का राज बताओ। अखबारों में छपते विज्ञापन, टीवी पर खुलापन, प्रचार के बहाने जिस्म की पैमाइश, रजामंदी के लिए साफगोई ललचाहट परोसने और ये कहने कि हर एक के लिए फ्रेंड जरूरी होता है। ये डर्टी गेम अब समाज का एक अंग, समय की मांग बन गया है। महंगाई की इस दौर में पति अगर ये सलाह दे कि महीने में डेढ़ सौ ग्राम लिपिस्टक तुम लगा जाती हो, तो पत्नियां यह कहने से गुरेज नहीं करती कि उसमें से आधा तुम चाट जाते हो। समय के कदम सेक्स की ओर बढ़ गए हैं, महिलाएं अब पहले से ज्यादा मुखर होती सेक्स का मजा लेने से कतराती नहंीं बल्कि इसको इनज्वॉय कर रही हैं, चाहे वो शादीशुदा हो या फिर…। कोई हर्ज नहीं।

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