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मैं आहत का क्रन्दन स्वर हूं
नेता मुझे वैभव दिखलाता
गरीब, बेरोजगार कसक, तड़पन बतलाता
लोकतंत्र से कुछ संबंध नहीं है
मुझे बेबस, असहाय युग-युग से भाता।
मैं विलास का केंद्र नहीं
जो बेच दूं अपनी पत्नी भंवरी को ही
ना मैं एक्सपोजर, ना मैं वल्गैरिटी
मैं तो बस विद्या का डर्टी पिक्चर हूं
मैं आहत का क्रन्दन स्वर हूं।
मैं, वह युवक नहीं
वैभव, लालच, खुदगर्जी में
आतंकी बन जो संसद में ही घुस जाऊं
नेताओं पर चप्पल फेंकू, थप्पड़ मारूं
प्रशांत भूषण पर वार करूं।
मैं तो उस दुख का प्यासा हूं
रहता पीडि़त के उर में जो
कभी कार्यकर्ताओंं संग भोज करूं
कभी गरीबोंं, दलितों के घर भात चखूं।
अमूल बेबी नाम है मेरा
एफडीआइ का एजेंट भर हूं
अन्ना मुझसे डरते क्यूं हैं
मैं तो उनका सबसे बड़ा समर्थक हूं।
मैं आहत का क्रन्दन स्वर हूं।
मैं तो हूं बिग बॉस भला मैं और क्या कुछ कह सकता हूं
कितनी भली थी वीना मलिक मेरे घर में
देखा ना उसका क्या हाल किया
पैंट पहना कर फोटो खींचा और उतार कर छाप दिया
मैं अन्ना कहां जो गांधी के रास्ते नहीं चलूं
राहुल पर सिर्फ गरजू-बरसू और अनशन का अपमान करूं
ना मैं मायावती की जूती
जो अफसर उसको साफ करे
ना मैं गुजरात का मोदी
जो टोपी पहनने से इनकार करे
ना मैं मायावती का सुंदर परिवार भला
जिसके नाम पर व्यवसायिक भूखंडों के आवंटन में दलाली हो
ना अवैध तरीके से एकत्र हजारों करोड़ कंपनियों में लगाने को मैं राजी हूं।
ना मैं चिदंबरम का स्पेक्ट्रम घोटाला
कि कपिल सिब्बल मेरा बचाव करें
अजित सिंह सा मौका परस्त इंसान नहीं जो चट से यूपीए में घुस जाऊं
आनन-फानन में नेता बन, मंत्री पद को हथिया लूं।
मैं आहत का क्रन्दन स्वर हूं।
तानाशाही के खिलाफ लड़ता रहा युग-युग से मैं
आज देखो तीन महिलाओं
लाइबेरिया की राष्ट्रपति एलेन जॉनसन सिरलीफ
यमन की तवाकुल कारमन
लाइबेरिया की लेयमाह ग्बोवी को शांति का नोबल देखकर
सिर्फ इतना भर कहता हूं
दुख की दुनिया बहुत बड़ी है मैं तो उसका एक नगर हूं
मैं आहत का क्रन्दन स्वर हूं।
सुखी जगत में-धनवानों को, सुख है मधु है-मधुर प्यार है
और, कंगालों की दुनिया में, हंसता रहता दुख प्रसार है
तो पल-पल आहें भरते हैं, उन आहों का गान अमर हूं ।
मैं कोलकाता का अस्पताल नहीं
जहां मर जाएं लोग सुबक-सुबक
ना मैं पाकिस्तान का हिंदू
जो भारत में शरण का इच्छुक हूं
ना मैं लोकपाल का संशय जो सीबीआइ के ईद-गिर्द रहूं
ना मैं सचिन तेंदुलकर ना ध्यानचंद्र
जो भारत रत्न बनने को बेताब, बहस कराने को कहूं
मैं प्रियंका चोपड़ा का डॉन-2 जो रोमा बन तरह-तरह का किरदार करूं
ना मैं सोना ही हूं जो 28 हजार से नीचे आ पहुंचूं
देश का संसद नहीं हूं मैं जो बार-बार अपमान, अवमानना सहता-फिरता रहूं।
मैं आहत का क्रन्दन स्वर हूं।
ना मैं सुशील कुमार जो बैठे-बैठे पांच करोड़ जीतता चलूं
बिग बी के हाथों चेक पाकर मनरेगा का ब्रांड एबेस्डर बनने का शौक करूं।
2012 तक एक और विश्व युद्ध के कगार पर भले हो दुनिया
हो क्यों नहीं पाक व यूएस में तनातनी
पर मैं भारत का सरकार नहीं जो तेरे आगे झुक जाऊं
ना हूं मैं अन्ना की टोपी
ना हीरोइन की जूती हूं,
मैं हूं हर गली का चीफ मिनिस्टर
करीना का बॉडीगार्ड नहीं मैं
शाहरूख का तो रावण हूं
चल, केटरीना ही सही
जो तेरे लिए चिकनी चमेली बन जाऊं
मैं आहत का क्रन्दन स्वर हूं।
मुझे याद है उस बचपन की, जब थोड़ा, सुख प्यार मिला था
फिर यौवन के आते-आते, दुख का हाहाकार मिला था
कभी राखी के स्वयंवर में पहुंचू कभी लापता वीना की खोज करूं।
दुखियों की बस्ती मेरा घर, महलों से नफरत करता हूं,
सरोकार क्या सुखी जगत से, जब दुख के जग में रहता हूं ।
धनबानों का दिल कठोर है, उसमें क्या रहता जीवन है
मुझे सुखी जग से लेना क्या है, मैं तो दुखियों का अनुचर हूं
मैं आहत का क्रन्दन स्वर हूं।
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