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आओ, लॉगइन करें

sach mano to
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जमाना लॉगइन का है। इसके बिना आप कुछ भी नहीं। कुछ करना है, तो बसलॉगइन कीजिए। बाजारवाद, स्त्रीवाद या फिर सेक्सवाद सब लॉगइन से ही संभव। इन लॉगइन का पासवर्ड कमसिन, हसीन, नादान, सुर्ख यौवनाओं के पास है। मुझे कॉल करो… मैं यहां हूं… मेरा पासवर्ड है… रात में बातें करो, दिन में इन नंबरों पर टटोलो। चाहे दफ्तर में साहेब की बेशकीमती फाइल हो, बड़े मॉल में खरीदी गई कोई चीज या फिर यौन इच्छाओं के श्रव्य व दृश्य कोई माध्यम। सब तरफ लॉगइन। हर जगह इसकी चाबी यानी पासवर्ड इन्हीं चंचल, नर्म, मुलायम देह के पास ही है। पासवर्ड डालते ही तमाम बंदिशें गायब। इसी पासवर्ड ने आज अय्याशी का अड्डा मोहल्लों में खड़ा कर दिया है। चकला घर की बात अब आम है। चाहे वह किराए के मकान में रह रहीं अकेली कोई औरत या फिर बड़े अपार्टमेंट में परिवार के साथ रह रहीं देह की नुमाइश करने वाली कोई बुजुर्ग, किसी को भी लॉगइन करने व करवाने से कोई गुरेज नहीं। इन महिलाओं के काले
चेहरों के पीछे छुपे खिस्से हर पॉश इलाके में देखने व लॉगइन करने को आसानी से उपलब्ध हैं। इनमें अधिकांश संभ्रात परिवार की महिलाएं जो बेशुमार दौलत, पैसे की चाहत, शौक या फिर पति के परदेश में होने का पूरा मजा उठा रहीं हैं या फिर वहां की हॉस्टलों में रह रहीं छरहरी काया। सब पासवर्ड की तरह इस्तेमाल होने को बेचैन है। बस शर्त यही जींस व जेब ढीला करो। और इसी बाजार ने खोज निकाले हैं महिलाओं पर हिंसात्मक यौन संतुष्टि के अस्तर। वह मजेदार खेल जिसका लॉगइन करते ही पूरे रोमांच से तरबतर हो जाता है आम आदमी। इस घृणित तरीके का दूसरा फिलहाल कोई विकल्प भी नहीं। इस सेक्स के दिल बहलाने वाले सनसनी में बच्चे भी सना गए हैं। उन्हें भी लॉगइन करने का पूरा इंतजाम कर परोसा जा रहा है और जिसकी चिकनाहट में वे भी आसानी से उपभोगवाद में शामिल हो रहे हैं। लिहाजा, इसी प्रवाह व कशमकश के बीच कहीं वो शिक्षकों के हाथों समलैंगिक शिकार बनते कहीं शिक्षिकाओं के पीछे भागते, हमबिस्तर होते ये नादान स्कूल-कॉलेज के छात्र बहकते जा रहे हैं। बच्चों, किशोरों की पीढ़ी को विकृत यौन कुंठा में ओठनें के बाद यह तबका अब उन्हें बिछावन बनाने की तैयारी में है। तरह-तरह के वीडियो गेम, अश्लील साइटें, कार्टून के बीच नग्न खड़ी बोतल व कंडोम बेचती, महसूसती मूक कन्याएं हों या वो गेम जिसमें औरतों को सेक्स के रूप में बेचते, गर्भ ठहराते, टटोलते, पेश करते बच्चे खुद को जवान होने का अहसास करते हैं। नतीजा, कॉलेज के छात्र विवाह पूर्व लॉगइन यानी संबंध बनाने से आज गुरेज नहीं कर रहे। दस विश्वविद्यालयों के एक हजार छात्रों पर कराए गए हालिया सर्वेक्षण में अधिकांश सुरक्षित यौन संबंध के बारे में अंजान थे। महज 34 फीसदी छात्र बिंदास बोलते स्वीकारा कि वे कंडोम का इस्तेमाल करते हैं। वहीं 30 फीसदी छात्र कंडोम को फिजूल बताया। 40 फीसदी ने अश्लील वेबसाइट, फिल्म व कार्टून देखकर नसों में ताकत की बात स्वीकारी। बात अमेरिका के पेंसल्वानिया के एक होटल तक पहुंच गई है। वहां एक भारतीय आइएसएफअधिकारी होटल में तैनात महिला कर्मचारी से लॉगइन करने से बाज नहीं आए। अधिकारी एस.पी. महापात्रा को यौन उत्पीडऩ के आरोप में जेल की हवा खानी पड़ी। फिलवक्त वो पेंसल्वानिया के अदालत में पेश किए गए हैं। खिस्सा यहीं हजम, खत्म नहीं होती। आज के कलयुगी पिता को अपनी बेटी से भी लॉगइन करने से परहेज नहीं।
कोच्चि में एक बाप ने न सिर्फ बेटी के साथ दुष्कर्म किया बल्कि उसे वेश्यावृत्ति के लिए मजबूर कर दिया। 14 साला उस लड़की के पिता टी सुधीर समेत 100 लोगों ने उसके साथ मुंह काला किया। सुधीर कोई आम इंसान नहीं था। वह मलयालम फिल्म का नायक भी है जो बेटी को लॉगइन करवाने कई राज्यों में भी ले जाया करता था। नतीजा, चाहत में शुमार लोगों की इच्छाएं उन्हें बरबस ऐसे पात्रों को सिरहाने लगाने, खुलकर पढऩे, सुनने व देखने को विवश कर रही हैं। इनकी लाचारी महिला व पूरे मानव समाज के खिलाफ काया को कमजोर, जर्जर करने की खतरनाक, गाढ़े, सफेद रंग में रिस रहे हैं। उत्तेजना की इस हद में वैसे लोगों ने चिकनी कमर को देखना, स्त्री महाशया को छूना ही मुखविलास का जायका बना लिया है।
अंत में, एक खूबसूरत, संगमरमरी बाला कॉलेज से बाहर निकलती है। उसकी टी शर्ट बड़ी लोलिन्दार है। उसपर लिखा है मोटे अक्षरों में फेसबुक। एक लड़का बड़ी दूर से उसे निहारता पास पहुंचता है, मिस अगर इजाजत हो तो मैं फेसबुक लॉगइन कर लूं। लड़की ने प्यार से कहा- प्यारे तू आराम से लॉगइन कर लेकिन इसका पासवर्ड तो दुलारे को पता है… हॉ…।

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