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इश्क में यू ट्यूब

sach mano to
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गर्ल फ्रेंड की बात बेमानी हो गई। जमाना, मौसम अब वुमॅन फ्रेंड का है। शर्त यही कि उसकी हुस्न गुडग़ुड़ाने की इजाजत दे। उम्र की सीमा अब दरकिनार, मायने से दूर है। इश्क, रोमांस व प्यार के फ्लेवर बदल गए हैं। तिरियावाद का शौक हो, लाउंज भी नहीं जाना चाहते, कोई बात नहीं। होम डिलेवरी भी होता है बॉस। बस, इश्क तो फरमाइए।
सभ्यता के विकास में नारी जिस सलीके,अंदाज व सुंदरतम अदा से मुखर, तिलस्मी हो रहीं हैं, वैसे में झिझक,
कुछ भी करने से किसी को तनिक भी गुरेज नहीं। महिलाएं नजाकत भी समझती हैं, कसरत भी करती, जानती हैं। बिकनी भी उतारती, पहनती हैं और साडिय़ां, सूट में भी ललचाती हैं। दरअसल, बोल्डनेस, चीप या बल्गर में अब फर्क थोड़ा-थोड़ा ही है। कम उम्र की लड़कियां वही आपकी गर्लफ्रेंड ही नहीं अधेड़ औरतें यानी वुमॅन फ्रेंड भी नूडल स्टैप्स में ग्लैमरस व स्टंट छवि को भुनाना, मकसद, हुनर, वसीयत समझती हैं। ऐसे में, इश्क, अफेयर, रोमांस, प्यार के खिस्से, ख्वाहिशों की बातें अब हाईप्रोफाइल होकर सत्ता यानी पावर यानी राजनीति यानी सियासत से भी बाबस्त हो गए हैं। बात इस्लामाबाद यानी पाकिस्तान में छनी, पकी है। वहां दो दिल मिल रहे हैं। प्यार में हैं। एक खूबसूरत हसीन, ऊंचे ओहदे पर आसीन, दो बच्चों की मां हैं तो उसका साथ चाहने वाले उसका हाथ थामने,
निभाने को तैयार, आतुर, बेचैन हैं वहां के सत्ताधारी पार्टी पीपीपी के चेयरमैन। जो बिल्कुल साफ भी हैं, उत्तेजक भी। शोहरत, जवानी, दौलत की चाह, सत्ता की संबल, ताकत के बीच दोनों दिल से हैं। दोनों के साथ मीठी मुस्कुराहट, मुस्कान भी है जो दो दिलों को मोहब्बत में सेक्स की इजाजत भी देता है, मजा भी सुकून भी। नतीजा, पाकिस्तान की 35 साला विदेश मंत्री हिना रब्बानी खार और राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी व बेनजीर के बेटे एक
जिंदा दिल नौजवान, हैंडसम, चॉकलेटी 24 बरस के बिलावल भुट्टो इश्क में फना हैं। हालात यह कि, न्यूडिटी से शुरु कम कपड़ों का शास्त्र आज फिल्मों से इतर राजनीतिक सियासत, सत्ता व उसके पुजारी के बेडरूम से होता राजभवन को भी अपवित्र कर समाज के उस वर्ग को प्रभावित, नुकसान करने को अगुआ है जो बे्रकफास्ट की परिभाषा नहीं जानता। जिसके लिए इश्क के मायने कोरे कागज हैं। उसके लिए रिश्ते वहीं है जो मर्यादित, ईमानदार हो। वे बिछुड़ते भी हैं, बहकते भी हैं तो इस आशा-विश्वास के साथ कि कशमकश के बीच नींद की गोलियां यूं ही नहीं खानी पड़े। कारण, कुछ रिश्ते, संबंध धीमे-धीमे, गिरते-संभलते उस दहलीज पर खड़े, रुके मिल जाते हैं जहां से पीछे मुडऩा, डोर को परिपक्व होते देखने का पल, समय ही नहीं मिलता। और, फिर से, यहीं से शुरु होती है प्यार वह तलाश, बहकने का मौका जो उम्र, बंदिश की सीमा, परिभाषा, बंधन को तोड़कर उस मोड़ पर नयी
जिंदगी को शुरु करने का इशारा करती नहीं थकती। जहां तलाक की जिद भी है। समीप, नजदीकियां, समर्पण की
चाह भी। परिवार की मर्यादा, आकांक्षा भले ही सहमति न दे पर जिद, शादी की तैयारी पूरी है। यह मानते, जानते, समझते कि प्रेयसी हिना रब्बानी कोई और नहीं दो बच्चों की मां है। एक सेलिब्रेटी है, राजनीतिक हलक, ओहदे पर है। मगर, बिलावल के आगे मजबूर यह औरत अपने अरबपति पति फिरोज गुलजार को भी तलाक देने की तैयारी में है। मतलब साफ, हिना-बिलावल ने खुद के लिए प्यार, भावना, संवेदना, व्यवहार को अपनी खास जिंदगी में भर, जगह दे दी है। दोनों का मन एकाकार हो उठा है। जहां कुछ भी छुपाने की जरूरत नहीं। पीड़ा, अनुभव, जिज्ञासा, गलती सब यहां माफ है। तभी तो राष्ट्रपति भवन में दोनों आपत्तिजनक हालत में मिले। पाक की ड्रीम वुमॅन हिना एक मां होने के बाद भी भरपूर सेहत, जवानी का एहसास करा रही हैं। उनका राजनीतिक किरदार किसी चटक से कम नहीं। आंखों पर काला चश्मा, गले में सफेद नेकलेस, कलाई पर घड़ी व हाथ में बेशकीमती बैग। बोलती वह खुद हैं, लटें तहजीब पेश करती हैं। वो जुल्फों को झटकती, खोलती, संवारती हैं, युवाओं के दिल पर गोदना या टैटू की चमक, सौंदर्य उभर आते हैं। हिना उस बॉडी पेटिंग सरीखे हैं जिसमें क्रिलांस रंग भी है हेलोइन मेकअप भी। साथ में एयर ब्रश का समावेश भी। जिसकी चाह में बिलावन फिसल, बेचैन हैं। दो बच्चों की मां होते हुए भी उसने एक ऐसे युवा चेहरे की गलबाहियां की है जो अपने मुल्क का ऑइकन भी है, भविष्य भी। प्रेम जीवन को सुंदर बनाने, रचनात्मकता के लिए हो तो बेहतर, सार्थक होता, कहलाता है। लेकिन जुनून में हिंसक, अमर्यादित होना पड़े तो यह चाहत ही खुद बीमार है। वजह साफ है, जरदारी इस इश्क को गुनाह मान रहे तो बुरा क्या है। बिलावल का राजनीतिक कैरियर दांव पर लगे, पाकिस्तान छोडऩा पड़े, पीपीपी के भविष्य पर खासा असर पड़े तो…पड़े। ये दिल है, इस दिल की तो यही मुश्किल है। इश्क में सबकुछ जायज। बिलावल न सिर्फ हिना के करीब हैं बल्कि उसके लिए पार्टी अध्यक्ष पद व पाक भी छोडऩे को तैयार बैठे हैं। फिलहाल, हिना को लेकर स्विटजरलैंड में बसने को पैक हो रहे। वहां हिना की बेटियां भी साथ रहेंगी मगर तभी तक जबतलक हिना तलाक की रस्म न पूरा कर ले। इसके बाद तोहफे में हिना अपनी बेटियों को फिरोज को देकर, सौंपकर उनका घर गुलजार छोड़ देंगी। आखिर, बेनजीर यानी बिलावल की मां भी तो जरदारी से निकाह नहीं कबूलना चाहती थी, उसकी इश्क में तो इमरान बसते थे। खैर, स्विटजरलैंड में बेनजीर की अरबों डॉलर की छुपी संपति भी तो इस प्यार, सेक्स व धोखा के बीच है, झटके में। यही वजह है, दोनों का राष्ट्रपति भवन में चोरी-चोरी-चुपके-चुपके मिलना, एक दूसरे को बधाई कार्ड भेजना, उसमें दूरी, जुदाई का अहसास, मिलन की जल्दी, फोन कॉल्स रिकार्ड में भी आशिकी का होना, जरदारी को गंवारा नहीं। मगर मजबूरिए-हालात, हिना बिलावल के लिए अंगूरी बन चुकी हैं। पंसद-नापसंद से दूर औपचारिकताएं उस देह से रूबरू है जिसके बाद आदर्श मापदंड, मां-बाप, परिवार, बच्चे सबके चेहरे पर नुक्स नजर आने लगते हैं। वह लाचार, विमर्श को सम्मोहित, दैहिक सोच लिए आतुर महिला अचानक एक चादर निकाल अपना सारा जिस्म ढंक लेती है। हिना के पास समर्पण, समर्पित होने के लिए, खोने के लिए बचा क्या है। वह प्यार, मर्यादा, पवित्रता के मर्म, स्पंदन क्या जाने। वो तो देह को तौलना जानती, चाहती है जिसके आगे बिलावल यानी युवाओं का संपूर्ण मॉडल, एक बिरासत मौन, नंगा खड़ा है।
समाज का चरित्र उस दौर से गुजरा, गुजर रहा है जहां पुरानी पीढ़ी अपने अनुभव, परेशानी,
कठिनाई, उम्मीद, नयापन युवाओं के साथ बांटकर उन्हें बड़ी जिम्मेदारी सौंपने को तैयार, सौंप रही है। ऐसे में बिलावल का हिना के साथ यू ट्यूब में धीरे-धीरे डाउनलोड होना पूरे पाकिस्तान को नागवार है। आखिर, पाक की लौ हैं बिलावल। वहां की आवाम उनसे, नया खून से, नव रचना, मंजिल, हौंसला, नई सोच व नैतिक मूल्यों की आस में है। देशहित में समर्पित होने को वहां के असंख्य हाथ उठ गए हैं। वैसे, पाकिस्तानी इश्क का जबाव अपुन
हिंदुस्तानी ने रेप यानी बलात्कार से दे दिया है। खबर आयी है छनकर दिल्ली उसके बाद इलाहाबाद से। कुंवारी
कन्याओं के चहेते, भावी प्रधानमंत्री, कांग्रेस के महासचिव, सांसद, युवाओं के ऑइकन, हीरो, अपने अमूल बेबी अब बड़े हो गए हैं। उनमें मर्दानगी आ गई है। सो, उन्होंने इश्क करने की बजाए सीधा दुष्कर्म ही कर डाला। बलात्कारी बन बैठे अपने राहुल गांधी। पहले लड़की को बंधक बनाया फिर मर्दानगी उतार दी…। वैसे, सीबीआइ जांच, तह तक पहुंच रही है। मामले की तहकीकात भी हो रही है। इलाहाबाद हाईकोर्ट में लोग बहस भी कर रहे हैं। सीधा ले चलते हैं कोर्ट, दिखाएंगे… कैसे कांग्रेस महासचिव पर लगाए गए इल्जाम बेबुनियाद साबित होंगे… सीबीआइ कैसे क्लीन चिट देती है… राहुल बाबा कोर्ट से क्या कह रहे हैं…बंधक बनाने व रेप में वे शामिल थे या नहीं…ये विदेशी साजिश है या कुछ और… सब दिखाएंगे, लाइव…इस्लामाबाद, दिल्ली, इलाहाबाद भी ले चलेंगे, बस बने रहिए हमारे साथ…मगर सबकुछ एक ब्रेक के बाद…।

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