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ये शहरवाली

sach mano to
sach mano to
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घर से मत निकलो
लक्ष्मण रेखा मत लांघों
बाहर रावण मिलेंगे
गर मिल ही जाएं
उन्हें अपना भाई बना लेना
उनके सामने खूब गिड़गिड़ाना
कभी ऐसा मत करना
रात को डिस्को जाना
और सुबह
कैंडल लेकर सड़कों पर उतर जाना।
सुंदर-सुंदर महिलाएं
सज-धज कर,बच्चों संग
विरोध करने कैसे
जंतर-मंतर पहुंचती हैं
क्या कहीं से भी वो
स्टूडैंट दिखती, लगती हैं।
हो
मौत की सजा का कानून
हो
पत्थरों से मार-मार, पिट-पिटकर
मौत देने की वकालत
तो इनके लिए हो
गैर मर्दों के साथ जो घूमती हैं
स्कूली छात्राओं की तरह
स्कर्ट,जींस पहनती हैं।
अरे
आज की ये महिला चीफ मीनिस्टर
ये भी नहीं बताती
कमबख्त रेप करने का कितना चार्ज लेती हैं।
कितना अच्छा होता
घर में ही शौचालय बना लेती
इस रेप से तो बच जाती
सुनो,ए
पश्चिमी सभ्यता की नकलची महिलाओं
क्यों देश को बांटने पर तुली हो
कभी इंडिया कभी भारत में फंसी हो।
देखो
गांव की बालाएं आज भी कितनी सेफ हैं
और, इस इंडिया में
हर दो सेकेंड पर एक रेप है।
ये धर्मगुरु आसाराम
संघ प्रमुख मोहन भागवत
सपाई अबू आजमी
भाजपाई कैलाश विजयवर्गीय
ये कांग्रेसी अभिजीत मुखर्जी…
ये सब, अमिताभ की तरह एंग्री यंग मैन नहीं हैं
ये तो फकत अजमल कसाब हैं
निदा फाजली को भले ये खिलौना सरीके दिखें
लेकिन आम आदमी की नजरों में
ये हराम के बेकाम
ये हैवान, यही शैतान
वही मतलबी इंसान हैं…
भूख जब इन्हें सताती है
सभी स्त्री इन्हें संभोग की मशीन नजर आती हैंं
धर्म की आड़ में
सत्ता के हर बयान में
गांव की हर छोरी इन्हें
शहरवाली ही लगती, दिखाई, नजर आती हैं…।

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