Menu
blogid : 4435 postid : 622046

लालू, तोहरे बिन बिहार… जिंदाबाद, मुर्दाबाद

sach mano to
sach mano to
  • 119 Posts
  • 1950 Comments

बिहार की धरती में घोटाले की उपज खूब, प्रचुर हुई है। आजादी के बाद से ही घोटालों की जो बुनियाद पड़ी वो फर्जी शिक्षकों की आंच तक हौले-हौले पकती चली आयी। छोआ घोटाले से प्रारंभ कथा सिलसिला थमने, रुकने को यहां कतई तैयार नहीं। पटना के ऐतिहासिक गांधी मैदान तक को यहां गिरवी रख दिया गया। भूमि, विजया बैंक घोटाला, सहकारिता घोटाला ने कांग्रेसी शासन के काले अध्याय लिखे तो लालू-राबड़ी राज में चारा, अलकतरा, दवा-मेधा, लाल कार्ड, राशन व बाढ़ राहत घोटाले ने बिहार का चेहरा ही बदरंग कर पूरी दुनिया में यहां जंगल राज कायम है का संदेश सुनाया, दिया। नेता, अफसर व ठेकेदारों की तिकड़ी ने घोटालों का इतिहास रच डाला। इस सबके बीच धोबी पाट से धुरंधरों को धूल चटाने वाले बिहार के कभी बेताज बादशाह लालू प्रसाद यादव का दांव एक के बाद एक उलटा पड़ता चला गया। उनकी दिनचर्या ऐसी बदली कि 17 साल पूर्व की गाय, सांढ़, बकरी-बैल, मुर्गी की तबाही व चारा की कागजी खरीद, अंधेरगर्दी के शिकार होकर आज बिरसा मुंडा केंद्रीय कारा में प्रभारी जेल सुपरिटेंडेंट वीरेंद्र सिंह के चैंबर पर कब्जा जमाए मिल रहे। वहीं नाश्ता, खाना खाते। कार्यकर्ताओं, रिश्तेदारों से मिलते। रधुवंश बाबू से गीता लेते। कुछ उपदेश भी पाते। चिंता छोडि़ए सुबह-शाम गीता पढि़ए। जगन्नाथ मिश्रीरजी थोड़ा ठीक हो जाएं फिर आपसे एक बतियान करने वाला भी मिल ही जाएगा। राजद में सब राजा है। आप आराम से जेल में चिंता मुक्त रहिए। बाकी पार्टी तो सब मिलकर चला ही लेंगे। बावजूद, साधना कट बालों की सफेदी में गोल चेहरे का वह जोकरई गायब, सुस्त, मुरझाया हुआ अपने अंदाज को कैद में जकड़ा महसूसता सिर्फ इतना ही कह पाया, अपनी बात कहने को राबड़ी आजाद हैं। फलसफा, कभी आसमान निहारते रहे इस शख्स की जमीन कब खिसक गयी पता ही नहीं चला। कहां तो प्रधानमंत्री बनने का सपना मन में हिलोरे ले रहा था। आज सांसद की कुर्सी भी गई। वो भी 11 साल के लिए पाबंदी लिए। जेड-प्लस सुरक्षा गयी। राजद की सभाओं में मंच से कभी नारे गूंजते थे। देश का नेता कैसा हो? लालू भैया जैसा हो। देश का प्रधानमंत्री कैसा हो? लालू यादव जैसा हो… और कहां आज उनके करीबी, शुभचिंतक भी मानने लगे, अति महत्वाकांक्षी इस नेता के जीवन का सबसे कठिन दौर, संघर्ष की सूई घूम, समय से आगे निकल चुकी है। 1992 का वह दौर जब पशुपालन विभाग में भारी गड़बड़ी की बात उठी और कहां 30 सिंतबर 2013 का दिन। लंबा फासला मगर फैसला शुद्धीकरण के पक्ष में। विकृत राजनीति को लपेटे। मध्य प्रदेश की खंडवा से सिमी के सात आतंकी जेल तोड़कर फरार होते वहीं 950 करोड़ के चारा घोटाले में लालू बिरसा मुंडा कारागार में पांच साल के लिए बंद होते। लोकतांत्रिक इतिहास में नाम दर्ज कराते, रांची में मिलते। बात साफ, घोटाले, अवतारों, बलात्कारियों, भ्रष्टाचारियों के इस देश में शायद जेल में तिल रखने की कल होकर जगह न मिले। कारण, सीबीआइ की विशेष अदालत में महज दवा घोटाले में एक दर्जन से अधिक सिविल सर्जन, डॉक्टर और आपूर्तिकर्ता आरोपित हैं। रशीद मसूद 23 साल पुराने मेडिकल दाखिला फर्जीवाड़ा में चार साल कैद में रहेंगे ही। नौ मेडिकल छात्रों व दो नौकरशाहों पूर्व आइपीएस अधिकारी गुरदयाल सिंह व सेवानिवृत आइएएस अमल कुमार राय को भी साथ रखेंगे। जगदीश शर्मा संसद की प्रतिष्ठा गंवा कर साथ देंगे ही। ऐसे में बहुत याद आते हैं होनहार आइएएस गौतम गोस्वामी। वर्ष 2004 के लोकसभा चुनाव के दौरान समय खत्म हो जाने पर पटना के गांधी मैदान में उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी से माइक छीन लेने से चर्चा में आए इस साहसी अधिकारी को टाइम पत्रिका एशिया का हीरो करार देता है। मध्य प्रदेश के मुख्य सचिव बाढ़ के मौसम में डीएम व अन्य अधिकारियों को राहत कार्य शुरू करने से पहले गौतम गोस्वामी की तस्वीर सामने रख लेने की सीख देता मिलता है। वक्त का मिजाज देखिए, ऐन मौके पर बाढ़ राहत घोटाले में उसकी भूमिका का खुलासा हो जाता है। माया के ऐसे जंजाल में वह उलझा कि जवानी में उसका दुखद अंत किसी ने सोचा तक नहीं। बाद में 2009 में कैंसर ने उसे सदा के लिए जीवन से ही मुक्ति दे दी।
वो दौर कौन भूलेगा भला जब बिहार की राजनीति में सिर्फ लालू की तूती थी। 1990 में जब बिहार की बागडोर उन्हें मिली। उनके साथ समाजवादी आंदोलन और बिहार आंदोलन से उपजे नेताओं की ऐसी सशक्त टीम और इतना बड़ा जन समर्थन था कि कोई सोच भी नहीं सकता कि इस नेता का यह हश्र होगा। तोड़-जोड़, तिकड़म में माहिर लालू ने एक तरफ शिखर स्तर पर धर्मनिरपेक्ष जुगलबंदी के बहाने वाम दलों के नेताओं से न सिर्फ दोस्ती साधी बल्कि बिहार में इन दलों का एक तरह से अपने दल में विलय ही करा लिया। सीपीआई की सबसे अधिक दुर्गति हुई। कांग्रेस से भी दोस्ती गांठने में कामयाब रहे। विपक्ष में किसी मजबूत दल को छोड़ा ही नहीं। मगर, सत्ता के चकाचौंध में लालू ऐसे खोए कि कब उनसे समाजवादी नेता अलग होने, किनारे लगते गए कब नीतीश-सुशील मोदी का पदार्पण हो गया इसका दिमागी लाल को भनक तक नहीं लगी। सत्ता संभालने के बाद सामाजिक टकराव बढऩे के बीच भूरा बाल साफ करो जैसे फरमान जारी होते चले गए। लालू का कद हाशिए पर लटकता आज सूली पर चढ़ा मिल रहा। जहां धर्मसंकट यह, कांग्रेस या लोजपा से रिश्ते समाप्त हो चुके हैं और न यह कि रिश्ते बरकरार हैं। ममता बनर्जी तक को उन्होंने ऐसे नाराज कर दिया कि वह लालू के रेल मंत्री रहने के दौरान आर्थिक स्थिति पर श्वेत पत्र जारी करने लगी जिसे प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने भी हरी झंडी देकर रेलवे के मुनाफे का डंका पीट मैनेजमेंट गुरु बने लालू प्रसाद की किरकिरी कर दी। हालात यह, लालू यादव जो बहुत कम लोगों की सलाह लेते या मानते रहे हैं। उनके दरबार के रत्नों को यह आजादी कभी नहीं रही कि वह अपनी राय दें सकें आज उनके जेल जाते ही पार्टी में सब राजा हो गए। राजद इस झंझावात से उबरेगा या बिखर जाएगा अहम सवाल लिए सभी राजद नेताओं के चाल-चरित्र पर नजरें गड़ाए मिल रहे। राबड़ी का कांग्रेस की तर्ज पर मां-बेटे गठबंधन में पार्टी चलाने का बयान पार्टी नेताओं को पच नहीं रहे। सबसे अधिक ताकतवर पार्टी में यादव-मुस्लिम समीकरण पर राजपूत का वर्चस्व कायम होता दिख रहा। श्याम रजक के हटने, रामकृपाल यादव से नाराजगी के बीच लालू के साथ यूपीए 1 में ग्रामीण विकास मंत्रालय संभाल चुके रघुवंश प्रसाद सिंह बहुत तेजी से उभरे हैं। अब्दुल बारी सिद्दीकी की साफ सुथरी छवि के बीच उनका आक्रामक नहीं होना और पार्टी के सभी तबकों की पसंद नहीं बन पाने के खामियाजा के बीच वे कद बढ़ाने में जुटे हैं। खासकर, मिथिलांचल जो कभी राजद का गढ़ था। बाद में नीतीश के जादू चलने के बाद भी वहां भाजपा का वर्चस्व कायम है, को तोडऩे में बेनीपुर के विधायक श्री सिद्दीकी व पूर्व सांसद अली अशरफ फातमी एक अलग समीकरण से चाल चल रहे। इससे इतर कई वर्षो तक राजनीति से दूर रहने वाली राबड़ी देवी या अनुभवहीन तेजस्वी यादव पार्टी को कहां तक संभाल पाएंगे यह सोचनीय। जदयू की
कोशिश यादव-मुस्लिम समीकरण जो राजद की शुरू से ताकत रही है को तोडऩे की जरूर होगी। भाजपा ने जो कसर एक खाली पन का अहसास उसे कराया है उसकी भरपाई राजद की टूट से करना, मतदाताओं को राजद की झोली से निकालने की मंशा उसकी सोच व कोशिश में शामिल है। बिहार में कांग्रेस से जदयू के तार मिलेंगे इसमें फिलहाल शक है। कांग्रेस खुद राजद की भरपाई के लिए विकल्प की तलाश में है। जदयू को भरोसा है कि राजद के कुछ साफ-सुथरे नेता जो भाजपा के अलग होते ही उनके संपर्क में आ गए थे लालू के जेल जाने के बाद पाला जरूर बदल लेंगे। इसके लिए यादव समीकरण और यादवी मूल के विजेंद्र यादव व नरेंद्र नारायण यादव को पार्टी में प्रमोट करने की बात भी हो रही। राजद में राबड़ी या तेजस्वी के नेतृत्व में काम शुरु होते ही जदयू को भरोसा है कि टूट-फूट तय है। नीतीश के लिए भाजपा से अलग होते ही त्रिकोणीय मुकाबला देने के लिए लालू की ताबड़तोड़ रैली ने चिंता की लकींर खींच दी थी। अब लालू के जेल जाने के बाद राजद के कुनबा बिखरने की संभावना ने सबसे अधिक जदयू को ही सजग व सतर्क कर दिया है। झारखंड की राजनीति से लेकर बिहार तक लालू के करिश्माई नेतृत्व का अभाव सबसे अधिक लोजपा को उठानी, झेलनी पड़ेगी। आठ महीनों से कांग्रेस व नीतीश के बीच बढ़ती नजदीकियां लालू को पहले से ही अंदर से बेचैन किए हुए थी अब जदयू कांग्रेस से अधिक मुस्लिम व यादव मतदाताओं को पटाने के लिए जो पासा फेंकेगी उस पर जेल के भीतर से भी लालू की नजरें रहेंगी। लोक सभा चुनाव के चंद शेष बचे महीनों में समीकरण राजद के कुनबों पर निर्भर रहेगा। हालिया सर्वे में जहां लोस चुनाव में 40 में से 10-12 सीटें राजद के पक्ष में निकलता दिख रहा था नए जेल परिदृश्य में इसका क्या असर पड़ेगा यह समीचीन, सोचनीय। इसके बावजूद तेजस्वी व राबड़ी की राजनीति लालू पर ही केंद्रित रहेगी। यह दीगर, लालू व राजद के सामने संकट की घड़ी कायम है। मगर, सफर भी तय, लालू फिर जेल से बिहार की राजनीति की दशा और दिशा दोनों तय करेंगे इसमें कतई कोई संदेह नहीं। समय गवाह है। जब-जब लालू जेल गए उनकी सोच पार्टी को एक नयी ताकत देने में कामयाब रही है। हां यह दीगर कि बिहार में उस जैसे नेता का ना होना कुर्ता मार होली को, ओम पुरी जैसी बिहारी सड़कों को,समोसे में आलू को, छठ पर घाट को, सभा में एक हसौड़ की कमी जरूर पैदा करेगा जिसकी भरपाई किसी अन्य नेता से संभव नहीं वो सिर्फ लालू थे, हैं और रहेंगे। भले सत्ता की चाबी किसी भी जमूरे के हाथ में क्यों ना रहे मदारी एक अकेला लालू ही थे।

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh