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ये जंग-जंग का शोर

sach mano to
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धार्मिक मान्यताएं। मुल्ला-मौलवी की तकरीरें। यज्ञ-हवन का उठता धुंआ, उसका आडम्बर। सांप्रदायिक ध्रुवीकरण जितनी तेज, हमलावर हुई, दिख रहीं हैं। पाप की मर्यादा उतनी ही गहरी पैठ, समूची धरा पर कहर बरपाने को बेचैन, अग्रसर दिखता, दिख रहा है। कर्म के विपरीत दुष्कर्मिक प्रवृत्ति ने पूरे समाज, देश यहां के लोगों को असहज, मोहपाश लिया है। जहां अजमेर ख्वाजा गरीब नमाज की मजार पर अल्लाह से दुआ मांगती। फरियाद, प्रार्थना, अरदास करती, फकीरी के रंग में रंगीं कोई अधेड़, असहाय महिला को वहीं के कर्मी उस पूजनीय स्थल से बाल पकड़कर, घसीटते कई गुणा जमीन नापते मिलते हैं। वहीं, पिपली से नारायण साई की नाटकीय गिरफ्तारी। 58 दिन की लुकाछिपी और अब नार्को में झूठ पकडऩे की कोशिश के बीच परवेज मुशरर्फ के देशद्रोह मामले की 8 वकीलों ने बचाव क्या शुरु किया उनकी हत्या, सिर कलम करने की कीमत, फीस ही दो गुणी उछल गई। बलूच राष्ट्रवादी नेता स्व.अकबर खान बुराती के पुत्र तलाल अकबर बुराती ने 2006 में जिस मौत के लिए महज एक अरब व 100 एकड़ खेती की जमीन ईनाम देने को तैयार थे आज वह इनाम दो अरब रुपए व 200 एकड़ खेती के पार, तब्दील है। मानो, नरेंद्र मोदी ने 370 पर बयान क्या दिया कश्मीर के सबसे शांत इलाकों में एक बंडगाम के चाडूरा अशांत हो उठा। आतंकी हमले ने ऐन मौके पर एसओ समेत दो लोगों को लील तो लिया मगर एक खुशनुमा अहसास नमो के लिए छोड़ते भी कि चलो खूबसूरत सुनंदा पुष्कर तो साथ हैं। मामला जिस ठंडे बस्ते से निकाला गया वह बीजेपी की मानसिकता और भावी प्रधानमंत्री की लगातार हो रही गलत बयानबाजी के बीच लटकी सी जरूर लगी। आखिर, मोदी अटल के बनाए रोडमैप पर कश्मीर की शांति व लोगों के अमन-चैन की चाहत पालते हैं या आरएसएस के यह पता लगाना, समझना फिलहाल मुश्किल। हां, बयान ने जनसंघ की बुनियाद से निकली भाजपा को जरूर कटघरे में कहीं धकेल, खड़ा कर दिया है, इस बात से कतई गुरेज नहीं। जहां एक संविधान, एक कानून की वकालत के बीच भाजपा की धारा 371 पर चुप्पी एक यक्ष प्रश्न लेकर सामने है। विहिप के प्रवीण तोगडिय़ा कहते हैं, गुजरात में हिंदू सुरक्षित नहीं। सवाल यही, हिंदू सुरक्षित हैं कहां और मुसलमान को किन राज्यों में खतरा है? मुजफ्फरपुर दंगे के पीडि़त दंगे की आग में तपते आज खुले आसमान के नीचे कश्मीर सी ठंडक महसूस करते शीतलहर की आशंका के बीच रहम की टकटकी लगाए बैठे हैं तो बिहार में लोकसभा चुनाव के पहले की सियासत माओवादियों की मदद को लालायित दिखते। वहां राजनेता जीत की हर गुंजाइश को पाटने के लिए नक्सली संगठनों से दोस्ताना संबंध तलाश, गढ़, गांठ रहे हैं। दिल्ली में चुनाव के ठीक एक रात पूर्व शराब व नोटों की बारिश करने वाले का चेहरा अब भी सुरक्षित है। वहीं, नमो ने जम्मू में राज्य के दो चेहरे पर बहस क्या शुरु की पाकिस्तान के शरीफ भी शराफत का चोला उतार फेंका। चौथी जंग व कश्मीर को आजाद देखने का सपना देखने में गुरेज नहीं करने वालों को अब ग्लेशियर पर भारतीय सैनिकों के रहने से पर्यावरण पर संकट, उसके अस्तित्व पर खतरा दिखने लगा है। गोया, केरल के रिजॉर्ट में आइटी पेशेवर से दुष्कर्म हो गया हो या फिर संत, राजनेता, जज, पुलिस, अफसर, अभिनेता के बाद बस एक ही तबका मर्यादित, बलात से दूर दिखता मिला था वो भी कलंकित हो उठा। वो वैज्ञानिकों का जत्था भी ग्वालियर में महिला देह के शर्म व इज्जत को बट्टा लगाने की वर्जना को उतार फेंकने पर आमादा दिखा। फलसफा, डीआरडीई के वरिष्ठ वैज्ञानिक प्रभात गर्ग अपनी ही शोधार्थी को कई दिनों तक हवस की चासनी में सान-परोस, उतार दिया। आखिर, नरेंद्र मोदी ने देश में बढ़ती यौन हिंसा का कश्मीर में महिलाओं व पुरुषों के समान अधिकारों के जिस रूप, स्वरूप से जोड़ा, दिखाया, लैगिंक समानता को जगाया, उठाया उसपर उमर अब्दुल्ला का खुद व बहन सारा के बहाने तिलमिलाना पूरी पुरुष मानसिकता के एक कोने का खिस्सा भर है। जैसे, नीतीश कुमार हत्या को अपराध नहीं मानने की गलती करते मिलते हैं, ठीक वैसे ही सांप्रदायिक हिंसा बिल पर मुंह फुलाए भाजपा मिली। यही कहती, विधेयक को ही सांप्रदायिक करार देने पर उतारु, असहज कि यह दो समुदायों के बीच भेदभाव की भावना पर टिकी है। ऐसे में,जदयू बिहार के मंत्री डॉ.भीम सिंह ने भाजपा नेता को नालायक कह दिया तो हाय-तौबा? बात तो वही हो गई। लैंगिक असमानता, लिंग भेद से होने वाली हिंसा व लिंगानुपात के खिलाफ बिहार के स्कूलों में जेंडर एक्विटी की पढ़ाई शुरु करने के लिए महिला विकास निगम मॉड्यूल तो तैयार कर रही है लेकिन उसी की जमीन से यूपी तक एक सर्वेक्षण में तमाम सरकारी स्कूलों के शिक्षक देश के राष्ट्रपति नरेंद्र मोदी को बताने पर तुले हैं। पटना में प्राथमिक विद्यालयों के सैकड़ों स्कूलों में बच्चों को शिक्षित करने का जिम्मा उठाने वाले गुरु राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति का नाम तो नहीं ही जानते हैं। अंग्रेजी में सॉरी शब्द लिख नहीं सके। यूपी में एक शिक्षक उत्तर प्रदेश के राज्यपाल का नाम प्रणव मुखर्जी बताकर देश के आगामी पीढ़ी का हाल-ए-सूरत दिखा गए। भले, तृणमूल कांग्रेस सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश अशोक गांगुली पर कड़ी कार्रवाई की मांग की हो लेकिन देश में न्यायिक चरित्र यही है, कानपुर में महज 57 रुपए के गबन में आरोपी एक डाकिए उमाशंकर मिश्र को 29 साल बाद रहम का फैसला सुनाया जाता है। हालात हताश शक्ल में है जब वर्ष 2040 तक देश में 15 करोड़ मामले लंबित हो जाएंगे। लिहाजा, यह आम आदमी पार्टी हों जो दिल्ली में अपने शुरुआत, आगाज के बीच अंत की राह भी तलाश ली हो। जीते तो टिके नहीं तो बोरिया बिस्तर बांध फिर सड़क पर वहीं नरेंद्र मोदी जो चार विधानसभा में हुंकार भरने के बाद अपनी दिल्ली की कुर्सी थाहने, पाने के लिए आश्वस्त हो चले हों। तालिबान को सचिन पर दिए बयान, गुणगान नहीं करे पाकिस्तान पर अब वैसे ही शर्म आ रही है मानो 1928, 32 व 36 में ओलंपिक पदक दिलाने वाले मेजर ध्यानचंद्र के आखिरी मैच में वो 3 बेशकीमती व 300 गोल की रिकार्ड याद आ गई हो। मानो, हिटलर भी जिस मेजर के कभी कायल थे उसका नाम भारत रत्न से हटाकर सचिन को आगे करने वाली केंद्रीय सरकार की आलोचना व सचिन को भारत रत्न नहीं देने की वकालत करने वाले खुद उनके सन्यास पर आंसू बहाते वानखड़े में खड़े मिल गए हों। एकबारगी, राहिल शरीफ को पाकिस्तान सैन्य प्रमुख बनाकर नवाज ने भारत के सामरिक नीति व विशेषलकों को अध्ययन का विषय थमा दिया। यह कहते, मुझसे युद्ध करोगे मैं मर्दानगी, पुरुषत्व जांच परीक्षण में उत्तीर्ण हूं। कोई तेजपाल के बाद राजपाल यादव, करोड़ों गबन में हवालात की सैर करते सुप्रीम कोर्ट से सज्जन कुमार को राहत नहीं मिलने पर अपनी पत्नी राधा को रजिस्ट्रार कक्ष में दिन बिताते देख लिया हो या शोमा के गोवा पुलिस से बातचीत के उस शब्दकोष के बाहर निकलने का तहलका को कोई इंतजार…जिसका बड़ा बाजार आजकल भारत बनता दिख, मिल रहा है। जहां बाप आसाराम का स्टिंग आपरेशन करते नारायण साईं सूरत की उस लड़की के चेहरे को भूल नहीं सके हों जो यह कहती मुंह ढक लेती है, दोनों बाप-बेटे में स्त्री देह को भोगने के लिए अक्सर झगड़े होते रहते थे। अंत में, हम भी 2014 में मंगल के करीब हो जाएंगे। बस, 24 सिंतबर के बाद अमेरिका, यूरोप, रूस के साथ भारत चुनिंदा देशों में होगा। ऐसे में, पाकिस्तान से सदा चुप रहने वाले देश के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह सवाल करते, कुछ पूछते अच्छे दिखे, ये जंग-जंग-जंग का है शोर क्यों…उनकी बातों को गंभीरता से लेनी चाहिए। जंग में पाकिस्तान को एक और शिकस्त तय है, मगर धैर्य, संयम और शांति से…। कारण, अपने पति लुई सिलबरकेट की मौत के बाद अमेरिका में आर्ची कार्मिक्स की सीइओ नेंसी सिलबरकेट पर पांच पुरुष सहकर्मी ने मामला दर्ज कराया है जो इन पुरुषों का यौन शोषण ही नहीं करती थी बल्कि गुप्त अंगों का नाम लेकर उन्हें बुलाती भी थी। आखिर, समानता, पंगत के इस दौर में एके गांगुली, तेजपाल का जवाब यही तो है…जंग।

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